प्रबंधन >> प्रबन्धन के सुर गांधी के गुर प्रबन्धन के सुर गांधी के गुरविजय जोशी
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गांधी दरअसल इस सदी के सबसे बड़े, अच्छे और सच्चे मैनेजमेंट गुरु थे।
गांधी व्यक्ति नहीं, विचार थे, लेकिन इससे बड़ा दुर्भाग्य भला क्या हो सकता है कि उनके विचारों को परे रखते हुए मात्र डाक टिकट व नोट पर छापकर तथा चौराहों पर उन्हें स्थापित करके हमने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली! और तो और, उनके जन्म एवं पुण्य तिथि पर भी मात्र रस्म अदायगी करके हमने स्वयं को सच्चा देशभक्त भी घोषित कर दिया। गांधी दरअसल इस सदी के सबसे बड़े, अच्छे और सच्चे मैनेजमेंट गुरु थे। यदि ऐसा न होता तो मात्र एक लंगोटीनुमा वस्त्रधारी साधारण-सी कद काठी का व्यक्ति पूर्ण अहिंसात्मक तरीके से विश्व की इतनी चतुर कौम से देश को आजाद नहीं करा पाता और वह भी साधन की शुचिता के साथ। यह पुस्तक उनके विचारों के प्रति विनम्र समर्पण मात्र है।
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